सेजेस करगीकला कोटा बिलासपुर में कारगिल विजय दिवस में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन संपन्न हुआ I शहीदों के नाम पर किया गया वृक्षारोपण I
कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है।
कैप्टन विक्रम बत्रा (09 सितम्बर 1974 - 07 जुलाई 1999) भारतीय सेना के एक अधिकारी थे I कैप्टन विक्रम बत्रा ने शत्रु के सम्मुख अत्यन्त उतकृष्ट व्यक्तिगत वीरता तथा उच्चतम कोटि के नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं के अनुरूप अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इस अदम्य साहस और पराक्रम के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा को 15 अगस्त 1999 को भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो 7 जुलाई 1999 से प्रभावी हुआ।
'जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख अध्ययन केंद्र द्वारा प्रतिवर्ष देश भर में 26 जुलाई, कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस मनाने का हमारा उद्देश्य जम्मू कश्मीर के कारगिल की भौगोलिक सामरिक संरचना एवं विषम जलवायु की परिस्थितियों से भारतीय युवाओं को अवगत कराना है। जिस पर अधिकार करने की पाकिस्तान की नापाक कोशिशों को भारतीय वीर सैनिकों ने अपने शौर्य और पराक्रम से न केवल नाकाम किया अपितु उस क्षेत्र की सर्वोच्च चोटियों में से एक टाइगर हिल पर से पाकिस्तानी आतंकवादियों एवं सैनिकों को खदेड़कर पाकिस्तानी सेना को धूल चटाया था I
कार्यक्रम में कारगिल विजय दिवस पर 527 वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए व्याख्याता कु.श्यामली तिवारी, कु.निकीता कुजूर, कु.मिलीशा लकड़ा एवं कु. रश्मि सिंह ने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गाकर सबके आँखों में पानी भर दिया, सहा.शिक्षक श्री सृजन पाण्डेय ने कारगिल युद्ध की पूरी जानकारी दी, तथा परमवीर कैप्टन विजय बत्रा के नाम से दो पौधे लगाये गए। सम्पूर्ण कार्यक्रम का मार्गदर्शन एवं संचालन वरिष्ठ व्याख्याता श्री अश्विनी कुमार पाण्डेय ने किया I सेजेस करगीकला में कारगिल विजय दिवस को हुए कार्यक्रम में शालापरिवार के सदस्यों के अलावा , जनप्रतिनिधि एवं पालक मौजूद थे I
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